आयुर्वेद द्वारा पानी पिने का सही नियम एवं भ्रांतियों से निवारण
भ्रांतिया एवं आयुर्वेद के नियम
भ्रांति 1 –
आमतौर पर जन सामान्य में भ्रांति होती है कि पानी सुबह उठकर पीना चाहिए, गर्म, ठंडा या खाने के पहले, बाद में आदि आदि | आज हम आपको पानी पीने के सामान्य नियम बता रहे हैं जो आपको स्वस्थ रहने के लिए अनिवार्य है | आयुर्वेद का विज्ञान हमें बताता है की सुबह उठकर बिना कुल्ला किए ही जल ग्रहण करना चाहिए | अभी यह जो नियम है, वह है उस व्यक्ति के लिए जो ब्रह्म मुहूर्त में उठा हो और जिसका खाना पच गया हो, और जनसामान्य में अधिकांश लोग सुबह 7:00 बजे से 10:00 बजे तक उठ कर एक साथ एक गिलास से 2 लीटर तक पानी एक साथ पी जाते हैं जो कि गलत है और बहुत सारी बीमारियों की जड़ साबित होता है | कभी-कभी ऐसा होता है कि जिन को सालों से इतना जल ग्रहण करने की आदत हो जाने की वजह से उनका शरीर इस तरह से ढल जाता है कि उन लोगों को नुकसान नहीं होता, तब भी ऐसे लोग जो बीमारी का इंतजार कर रहे हैं उनको धीरे-धीरे अपनी इस गलती का सुधार करना चाहिए |
जल ग्रहण करने की आयुर्वेद विधि
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ब्रह्म मुहूर्त मैं उठकर यदि आप जल ग्रहण करते हैं तब वह आपको घुट घुट कर लार को मिलाकर पीना चाहिए, क्योंकि लार जो कि हमारे शरीर में रोज 3 लीटर बनती है वह हमारे लिए बहुत लाभदायक है |
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ब्रह्म मुहूर्त में शीतल जल के अलावा दूध, मधु, घृत या दो दो को मिलाकर या सब मिलाकर लेना रसायन यानी उम्र को थामने का कार्य करता है |
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इसमें भी जिनका वजन बढ़ा हो शहद, जिनकी गर्मी बढ़ी है वह दूध और घृत या सामान्य व्यक्ति सब मिलाकर ले सकता है |
भ्रांति 2 –
फ्रिज का ठंडा या चिल्ड पानी ठंडक देगा
आयुर्वेद दृष्टिकोण –
आयुर्वेद मैं बताया गया है कि, इतना ठंडा पानी जिनसे से दांत जड़ हो जाए वह नहीं पीना चाहिए | सामान्य बुद्धि से विचार करने पर हम जान सकते हैं हमारा शरीर गर्म है और ठंडा पानी पीने के बाद पेट में जाकर उसको गर्म ही होना है जबकि ठंडा पानी पीने पर शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी |
सही विधि - गर्मी के दिनों मैं मटके जितना ठंडा पानी चाहे वह फ्रिज का हो पीना लाभदायक है
भ्रांति 3 -
वाटर प्यूरीफायर का पानी पीना लाभदायक है
सही विधि –
वाटर प्यूरीफायर का उपयोग करते समय हम पानी का टीडीएस, (पानी में घुलनशील पोषक तत्व) की जांच अवश्य कर लें अथवा कम या ज्यादा होने पर गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है और अगर हम प्यूरीफायर का जल ग्रहण करते हैं तब हमारे शरीर में इसकी आदत हो जाएगी और सामान्य पानी पीने पर हम उसको पचा नहीं पाएंगे और हमें गले की बीमारी आसानी से हो जाती है अर्थात हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी |
भ्रांति 4 -
हमें कितना पानी पीना चाहिए, कोई कहता है सामान्यतः अधिक पानी 2 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए, यह भ्रांति है
आयुर्वेद दृष्टिकोण –
हम सब का शरीर और प्रकृति अलग है, इसलिए यह नियम स्थाई नहीं हो सकते | सामान्य नियम है जब प्यास लगे घुट घुट कर प्यास बुझने तक पानी पीना चाहिए |
भ्रांति 5 -
क्या हमें पानी गर्म होने पर ठंडा पानी मिलाना और पानी ठंडा होने पर सामान्य पानी मिलाकर पीना चाहिए
आयुर्वेद दृष्टिकोण –
दो तरह के जल को कभी मिलाना नहीं चाहिए | ऐसे जल का प्रयोग करने पर विकृति पैदा होती है, क्योंकि दोनों जल की सूक्ष्म संरचना अलग हो जाती है | आयुर्वेद एक कदम और आगे जाकर बताता है कि, अगर हम दो अलग जगह का भी पानी पीते हैं तब वह, तभी पिए जब पहले ग्रहण किए जल का पाचन हो जाए |
भ्रांति 6 -
भोजन के साथ जल लेना या नहीं लेना
सही विधि –
सुबह के भोजन के समय फलों का रस, दोपहर के समय में खाने के साथ प्यास लगने पर ताजा छाछ या मट्ठा और रात्रि मैं प्यास लगने पर भोजन के बीच में पानी लेना चाहिए पर आधा या एक घूंट जरूरत पड़ने पर अधिक मात्रा में बिल्कुल नहीं | भोजन के आधे घंटे पहले या आधे घंटे बाद प्यास लगने पर इच्छा अनुसार जल पिया जा सकता है | फलों का रस या छाछ ना होने पर साधारण जल का उपयोग कर सकते हैं |
भ्रांति 7 -
अधिकांश लोग प्रश्न पूछते एवं बताते हैं कि हम रोज गुनगुना पानी सुबह पीते हैं, क्या यह सही है
आयुर्वेद दृष्टिकोण –
सभी लोगों को गुनगुना पानी पीने की आवश्यकता नहीं होती है कई बार जिनकी प्रकृति गर्म वाली यानी पित्त प्रकृति जो की अग्नि महाभूत का प्रतिनिधि वाले लोग हैं, उनको बहुत नुकसान करती है | संक्षेप में एसिडिटी जिनको है, उनको बहुत नुकसान होता है |
आयुर्वेद विधि - सामान्य नियम यह है कि, सुबह सामान्य कमरे के तापमान वाला पानी पीना चाहिए |
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
ऐसी परिस्थिति जिनमें अल्प (कम) जल ही ग्रहण करना है :-
- - भूख कम लगने पर
- - रक्त की कमी होने पर
- - पाचन ठीक से न होने पर
- - दस्त अतिसार होने पर
- - शरीर में सूजन हो
- - मधुमेह
- - सर्दी
शीतल जल किसको ग्रहण करना चाहिए :-
- - चक्कर आने पर
- - बेहोशी में
- - उल्टी होने पर
- - गर्मी लगने पर
- - शरीर में जलन और रक्त विकार में
गुनगुना जल किसको ग्रहण करना चाहिए :-
- - भूख बढ़ाने के लिए
- - पाचन के लिए
- - गले की बीमारी में
- - मूत्र कम आने पर
- - जुकाम खांसी में
- - नए ज्वर में
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